तुझे जबसे देखा है ओ सांवरे,
मेरे मन में जगी है एक आस रे,
तुझे हाथों से सजाऊँ बड़े चाव से,
मेरी विनती तू कर स्वीकार रे,
तुझे जबसे देखा है............
कौन से रंग का आज बता दे,
बाघा तू पहनेगा सांवरिया,
फूल भी अपनी आज पसंद का,
कान में बतला सांवरिया,
बाघा घेरो वाला तुझे पहनाऊं रे,
चाँद तारों से तुझे मैं सजाऊं रे,
तुझे जबसे देखा है............
घूम घूम के बाग़ बगीची,
चुन चुन फूलों को पिरवा दू,
बागा मैं हीरो से जड़वाऊं तेरा,
इत्तर से दर को मैं महका दूँ,
तुझे आँखों में बसा लूँ मैं सांवरे,
लहरा मोरछड़ी तू घनश्याम रे,
तुझे जबसे देखा है............
पलकों की चादर आज बिछा के,
तुझको सजाऊँ मन भावों से,
फूल कमल का फूल अशर्फी,
चंपा चमेली हो रजनी रे,
तुझे दूलो से सजा दू मैं सांवरे,
पंकज नज़र उतारूं घनश्याम रे,
तुझे जबसे देखा है............