महफ़िल है श्याम आपकी महफ़िल में आइये ज़रा
पलकें बिछाए बैठे हैं कुछ तो फरमाइए ज़रा
महफ़िल है श्याम आपकी...........
यूँ तो हैं लाखों कलियाँ फिर भी सूना है ये चमन
चरणों में लगा खाटू की मिटटी तो लाइए ज़रा
महफ़िल है श्याम आपकी...........
नादानियों पे मेरी करते हमेशा पर्दा तुम
परदे की हो गई आदत पर्दा हटाइये ज़रा
महफ़िल है श्याम आपकी............
तोहफे में तुम्हे देते अम्बार आंसुओं भरा
उस पर ये तुमसे कहते हैं ाजी मुस्कुराइए ज़रा
महफ़िल है श्याम आपकी............
घडी इंतज़ार की अब बेसब्र हो रही है
बैठा है राज चरणों में यूँ ना सताइये ज़रा
महफ़िल है श्याम आपकी............