पिला नीला और हठीला,
राम जी की बाल लीला,
कौशल्या के ऐसे श्री राम,
देदो ध्यान,
छोड़ के सारे अपने काम….
पाब में पहने पैजनियां,
ठुमक ठुमक चले राम,
मुझे बन्दर ही चाहिए,
ऐसी बालहठ किये राम,
बाल बजरंग दसरथ लाये,
उनके साथ खेल रहे राम….
प्रेम मगन कौसल्या को,
बाल लीला दिखाए राम,
सारा ब्राभण्ड दिखाये,
अपने रोम रोम में राम,
कभी पालने में या बाहर,
कई रूप में दिखते है राम……..