कहाँ तू खोज रहा रे प्राणी ,
तेरे मन मन्दिर में राम l
नहीं अवध नहिं गोकुल में प्रभु ,
नहीं द्वारका धाम l
तेरे मन मन्दिर में राम l
कहाँ तू खोज रहा............
मन में तेरे मैल जमी है ,
अँखियन मोह की पट्टी पड़ी है ,
दीखत नाहीं राम l
तेरे मन मन्दिर में राम l
कहाँ तू खोज रहा............
एक बार तू प्रभु को भजले ,
मन निर्मल को जाए ,
धोले मन का मैल रे प्राणी ,
ले कर हरि का नाम l
तेरे मन मन्दिर में राम l
कहाँ तू खोज रहा............