।। दोहा।।
( साथ समंद की मसी करूं,लेखनी सब बनराय।
धरती सब कागज करूं,गुरु गुण लिखा न जाय।। )
प्रभु तेरी महिमा किस विधि गाउं,
तेरो अंत कहीं नहीं पाऊं नहीं पाऊं,
प्रभु तेरी महिमा किस विधि गाउं.......
गंगा जमुना नीर बहावे स्नान किन्ही कराऊं,
वृक्ष बगीचा रचना तेरी, कैसे पुष्प चढ़ाऊं मै चढ़ाऊं,
प्रभु तेरी महिमा किस विधि गाउं.......
पांच भूत की देहन तुम्हरी, चंदन किन्हीं लगाऊं,
सकल जगत के पालन करता, किस विधि भोग लगाऊं मैं लगाऊं,
प्रभु तेरी महिमा किस विधि गाउं.......
हाथ जोड़कर करूं विनंती, मैं तुम्हे शीश नवाऊँ,
ब्रम्हानंद हटा दे पर्दा तो, घट घट दर्शन पाऊं मैं पाऊं,
प्रभु तेरी महिमा किस विधि गाउं.......
डॉ सजन सोलंकी