एह प्रेम दा रोग अवला है इस रोग दा रोगी झला है,
इस रोग दा न को दारु है इस रोग दा कोई थला,
मैं हो गई गिरधर दी नि माये हो गया गिरधर मेरा,
ग्वाला गोकुल दा नि माये बड़ा पसंद है मेरे,
इक दूजे नाल आसा दोवा ने लै लये लावा फेरे बन गये मेरे,
मैं हो गई गिरधर दी नि माये हो गया गिरधर मेरा,
पति मेरा अवनाशी माये लोक कहां ब्रिजवासी,
सुन सुन के लोका दिया गला आवे मैनु हासी दिल ले गये राति,
मैं हो गई गिरधर दी नि माये हो गया गिरधर मेरा,
रोम रोम विच मेरी नस नस दे विच वासियां मोहन जानी माये वासिया मोहन जानी,
कमली हो गई पगली हो गई मैं हो गई मस्तानी,
मैं हो गई गिरधर दी नि माये हो गया गिरधर मेरा,