गुरु भजन कर प्राणी

गुरु भजन कर प्राणी यह काया तेरी हो गई पुरानी,
राम भजन कर प्राणी यह काया तेरी हो गई पुरानी,
हरी भजन कर प्राणी यह काया तेरी हो गई पुरानी....

इस काया का कोई ना ठिकाना,
एक दिन माटी में मिल जाना,
राजा हो या रानी यह काया तेरी हो गई पुरानी,
हरी भजन कर प्राणी.....

हाड जले जैसे सूखी लकड़ियां,
मांस जले जैसे घास गठरिया,
धुआं उड़े आसमानी यह काया तेरी हो गई पुरानी,
हरी भजन कर प्राणी.....

लख चौरासी भोग के आया,
मुश्किल से तूने नर तन पाया,
इस की कदर ना जानी यह काया तेरी हो गई पुरानी,
हरी भजन कर प्राणी.....

जो तू चाहे भव से तरना,
श्री सतगुरु की ले ले सरना,
बन जा आत्मज्ञानी यह काया तेरी हो गई पुरानी,
हरी भजन कर प्राणी.....
download bhajan lyrics (245 downloads)