अंबर की मोहे चटक चुनरिया,
भोले जी बनवाए दीजो,
धरती जैसा लहंगा सिलवाऊ,
समुंदर की गोट लगा दीजो,
अरे या में शेषनाग नाडो,
मानू एहसान तुम्हारा,
भोला इतनॊ कर काम हमारो,
मानू एहसान तुम्हारो.....
बिन शेरे पाटी के पलका,
भोले जी बनवाए दीजो,
अंबर से वह लग ना जाए,
धरती से अधर उठा दीजो,
अरे दामन पर पोनिया कारो,
मानू एहसान तुम्हारा,
भोला इतनॊ कर काम हमारो,
मानू एहसान तुम्हारो.....
मगरमच्छ की मोए हसुलिया,
भोले जी गढ़वा दीजो,
बर्र ततिया के कुंडल,
मेरे कान में पहरा दीजो,
अरे नथनी पर बिच्छू कारो,
मानू एहसान तुम्हारा,
भोला इतनॊ कर काम हमारो,
मानू एहसान तुम्हारो.....
चंदा की बिंदी तुम मेरे माथे बीच लगा दीजो,
जितने तारे अंबर में, मेरी अंगिया में जड़वा दीजो,
अरे थोड़ी पर ध्रुव को तारो,
मानू एहसान तुम्हारा,
भोला इतनॊ कर काम हमारो,
मानू एहसान तुम्हारो.....