सुणल्यो सुणल्यो जी कानुड़ा म्हारी बात

सुणल्यो सुणल्यो जी कानुड़ा म्हारी बात,
सुनाऊँ थाने बातड़ली,  
बातड़ली कान्हा बातड़ली,
बातड़ली कान्हा बातड़ली,
सुणल्यो सुणल्यो.............

महला आगे मैं खड़ी झाला देऊं हाथ,
नज़र हटाई खड्यो कानुड़ा सुने ना कोई बात,
सुणल्यो सुणल्यो.............

आँगन पुष्प बिछाई के केसर रंग भराय,
आज आवेला सांवरिया मैं बैठी आस लगाय,
सुणल्यो सुणल्यो.............

चन्दन तिलक लगावस्यूं  माखन मिश्री खिलाये,
छोटू अरज़ सुनो प्रभु मोरी दरस देवो घर आये,
सुणल्यो सुणल्यो.............
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