मनमोहन कान्हा विनती करू दिन रेन,
राह तके मेरे नैन,
अब तो दर्श बिना कुञ्ज बिहारी मन है बेचैन,
मनमोहन कान्हा विनती करू दिन रेन,
नेह की डोरी तुम संग जोड़ी,
हम से तो ना ही जाये गी तोड़ी,
हे मुरली धर कृष्ण मुरारी तनिक न आवे चैन,
राह तके मेरे नैन.......
जन्म जन्म से पंथ निहारु बोलो किस विध तुमको पुकारू,
हे नटनागर हे गिरधारी आह न पावे बहिन,
राह तके मेरे नैन.....