राधा ऐसी भयी श्याम की दीवानी

राधा ऐसी भयी श्याम की दीवानी,
के बृज की कहानी हो गयी,
एक भोली भाली गाँव की ग्वालीन,
तो पंडितों की बानी हो गई......

राधा न होती तो वृन्दावन भी न होता,
कान्हा तो होते बंसी भी होती,
बंसी में प्राण न होते,
प्रेम की भाषा जानता न कोई,
कन्हैया को योगी मानता न कोई,
बिना परिणय के वो प्रेम की पुजारीन,
कान्हा की पटरानी हो गयी,
राधा ऐसी भयी श्याम की......

राधा की पायल न बजती तो,
मोहन ऐसा न रास रचाते,
नीन्दीयाँ चुराकर मधुवन बुलाकर,
अंगुली पे कीसको नचाते,
क्या ऐसी खुशबु चन्दन में होती,
क्या ऐसी मीश्री माखन में होती,
थोडा सा माखन खिलाकर वोह ग्वालिन,
अन्नपुर्ना सी दानी हो गयी,
राधा ऐसी भयी श्याम की......

राधा न होती तो कुंज गली भी,
ऐसी निराली न होती,
राधा के नैना न रोते तो,
जमुना ऐसी काली न होती,
सावन तो होता झूले न होते,
राधा के संग नटवर झूले ना होते,
सारा जीवन लूटन के वो भीखारन,
धनिकों की राजधानी हो गयी,
राधा ऐसी भयी श्याम की......
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