( करुणामई किशोरी जीसे अपना कृपा पात्र बनावे,
भाग्यशाली कृपा पात्र वो बरसाने में आवे।
जनम जनम का प्रेम मधुप, इस जीवन में फिर पावे,
पाकर चरण शरण रज स्वामिनी, बरसाने बस जावे। )
जिसपे रींझे लाडो उसे, ये ठिकाना मिलता है,
बरसाना मिलता है उसे बरसाना मिलता है।।
जिसपे रींझे श्री जी उसे, ये ठिकाना मिलता है,
बरसाना मिलता है उसे बरसाना मिलता है।।
जिसको दुनिया ठुकराती है, श्री राधा उसे अपनाती है,
ममता और प्यार लुटाती है, जीवन भर लाड लडाती है,
उसे राधा नाम परम् धन का, खजाना मिलता है,
बरसाना मिलता है उसे बरसाना मिलता है।।
जो राधे राधे करता है, जब महल की सीढ़ी चढ़ता है,
उसे हाथ पकड़ ले जाती है, तन की थकान मिट जाती है,
कर दर्शन लाडली लाल के, दिल कमल सा खिलता है,
बरसाना मिलता है उसे बरसाना मिलता है।।
यहाँ ऐसे रस बरसते है, जिसे देवी देव तरसते है,
रास पीकर मस्ती चढ़ती है, जीवन भर जो ना उतरती है,
इस मधुशाला में मधुप हर कोई, मस्ताना मिलता है,
बरसाना मिलता है उसे बरसाना मिलता है।।
जिसपे रींझे लाडो उसे, ये ठिकाना मिलता है,
बरसाना मिलता है उसे बरसाना मिलता है.......
(सर्वाधिकार लेखक आधीन सुरक्षित। भजन में अदला बदली या शब्दों से छेड़-छाड़ करना सख्त वर्जित है)