( वृन्दावन के वृक्ष को,
मरम ना जाने कोय,
डारि डारि पर पात पात में,
श्री राधे श्यामा होय॥ )
गजब कर डारो री,
जा काली काँवर वारे ने,
काली काँवर वारे ने,
पिली पीताम्बर वारे ने,
गजब कर डारो री,
जा काली काँवर वारे ने.......
मन मोह लियो हँस हँस वाले,
चुनरिया पकड़ पकड़ ताने,
नैनो से जादू डारो रे,
जा काली काँवर वारे ने,
काली काँवर वारे ने,
पिली पीताम्बर वारे ने,
गजब कर डारो री,
जा काली काँवर वारे ने.....
जमुना तट रास रचावे,
मुरली की तान सुनावे रे,
भक्तन को आन उबारो रे,
जा काली काँवर वारे ने,
काली काँवर वारे ने,
पिली पीताम्बर वारे ने,
गजब कर डारो रे,
जा काली काँवर वारे ने......
निंदिया ना श्याम बिना आती,
राधा ललिता भेजत पाती,
उद्धव ने दियो सहारो रे,
जा काली काँवर वारे ने,
काली काँवर वारे ने,
पिली पीताम्बर वारे ने,
गजब कर डारो रे,
जा काली काँवर वारे ने.......
गोकुल में धूम मचावे रे,
संग राधा रास रचावे रे,
छोटो सो पवन को थारो रे,
जा काली काँवर वारे ने,
काली काँवर वारे ने,
पिली पीताम्बर वारे ने,
गजब कर डारो रे,
जा काली काँवर वारे ने......