हाथों में पैसा खत्म ना हो ऐसी में किस्मत लाऊंगा

हाथों में पैसा खत्म ना हो ऐसी में किस्मत लाऊंगा
ऐसी मै किस्मत लाऊंगा रूणिचा नगरी जाउंगा

लेकर धोली ध्वजा मैं हाथ घर से मैं निकल जाऊंगा
रस्ते रस्ते भण्डारा में खीर पुडी मैं खाऊंगा

सरोवर में नहाकर के मैं अपना कोढ़ मिटाऊंगा
बाबा रा दर्शन पाकर के काया कंचन कर आऊंगा

राम विष्णु रो अवतारी हैं भगतां रा कारज हारेगा
बाबो पचरंग पैचाधारी है दुखिया रा दुख मिटावेगा

राम भगतां ने पर्चा देवे निर्धन री झोली भर देगा
हिन्दू मुस्लिम दर पे आवे बाबो भेदभाव मिटादेगा

यो मुकेश लिख कर गावे हैं चरणा में शीश नवावेगा
भक्त आस ले के आवे हैं राम नैया पार लगावेगा

singer and writer-Mukesh jatav कोचवा
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