माता अनुसूइया ने डाल दिया पालना,
झूल रहे तीन देव बन कर के लालना....
सारी खुशी के फूली ना समाती,
गोदी में लेती कभी पलना झूलाती,
आज मेरे भाग्य की कौन करे सराहना,
झूल रहे तीन देव बन कर के लालना,
माता अनुसूया ने....
बालक की भांति प्रभु रुदन मचावे,
ब्रह्मा और भोले सग यू बतलामें,
लेने आए धेद यहां गली नहीं दाल ना,
झूल रहे तीन देव बन कर के लालना,
माता अनसूइया ने....
मेरे घर आए मुझे देने बढ़ाई,
भूल गए आज अपनी सारी चतुराई,
भारत की देवियों से आज हुआ सामना,
झूल रहे तीन देव बन कर के लालना,
माता अनुसूइयाने.....
कोई गरुण पाल कोई सृष्टि के रचैया,
कोई बैठे नादिया पर डमरू के बजैया,
ऐसे फसे तीन देव पूछे कोई हाल ना,
झूल रहे तीन देव बन कर के लालना,
माता अनुसूइया ने.....
तीन देवी दुखी होकर कुटिया पधारी,
माता हमें पति दे दो विनती हमारी,
तीन पुत्र तीन वधू आय मेरे अंगना,
झूल रहे तीन देव बन कर के लालना,
माता अनुसूइया ने.....