हट जा निंद्रा मोत बैरण मोहे साहिब ने रटवा दे

हट जा निंद्रा मोत बैरण मोहे साहिब ने रटवा दे ,
क्ई जन्म रा पाप कियोड़ा आज भजन से कटबा दे ,

इस काया में अमृत कुवा ,
भर भर प्याला पीबा दे,
इस काया में लंम्बा बड़,
कुबध्द  बेल ने कटवा दे,
ज्ञान का गोला घट उर म लाग्या,
काल का बंधन कटवा दे

सत्य की कुंजी सुनन्न में लागी,
गुप्त ताला खुलबा दें,
लादू नाथ जगत में जागत जोगी
नींद घटे तो घटबा दे,

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