हे गणपति दीनदयाल प्रभु
हमें शरण लगा लो तो जाने।
तुम देव मेरे में दास तेरा ,
मुझको अपना लो तो जाने।
भक्तों ने तेरी पुकार करी,
आ नाव मेरी मझदार पड़ी।
मेरी इस भट्टकी नैया को,
उसे पार लगा दो तो जाने।।
द्वारे पे सवाली जो आया,
मुंह मांगा वर उसने पाया।
मेरी भी बिगड़ी किस्मत को,
प्रभु आप बनादो तो जाने।।
तुम रिद्ध सिद्धि के दाता हो,
दुखियों के भाग्य विधाता हो।
"राजेंद्र"को जो निज चरणों से,
प्रभु आप लागलो तो जाने।।