भजो रे भैया राम गोविंद हरि

भजो रे भैया,
राम गोविंद हरि,
राम गोविंद हरि,
भजो रे भईया,
राम गोविंद हरि....

जप तप साधन,
कछु नहीं लागत,
खरचत नहिं गठरी,
भजो रे भईया,
राम गोविंद हरि....

संतत संपत,
सुख के कारण,
जासे भूल परी,
भजो रे भईया,
राम गोविंद हरि....

कहत कबीरा,
जिन मुख राम नहीं,
ता मुख धूल भरी,
भजो रे भईया,
राम गोविंद हरि....

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