तेरा श्याम बड़ा अलबेला,
मेरी मटकी को मार गयो डेला,
कभी गंगा किनारे, कभी यमुना किनारे,
कभी बंसी बजाये अकेला,
मेरी मटकी को .........
कभी गऊऐ के संग, कभी ग्वालों के संग,
कभी रास रचाए अकेला,
मेरी मटकी को .........
कभी सूरज के संग कभी चन्दा के संग,
कभी तारो के संग अकेला,
मेरी मटकी को .........
कभी गोपियन के संग, कभी रुकमणि के संग,
कभी राधा के संग अकेला,
मेरी मटकी को .........
कभी संतों के संग, कभी भक्तों के संग,
कभी मस्ती में खेले अकेला,
मेरी मटकी को .........