दोहा: जिस घर मे हो आरती, चरण कमल चित लाये,
ताहा हरि वासा करें जोती अनंत जागे |
आरती बाल कृष्ण की कीजे |
अपनों जन्म सफल कर लीजे ||
श्री यशोदा को परम दुलारो |
बाबा की अखियन को तारो |
गोपिन के प्रानन ते प्यारो |
इन पे प्राण नौछावर कीजे ||
बलदाऊ को छोटो भैया |
कनुआ कह कह बोले मैया |
परम मुदित मन लेत बलिया |
यह छवि नैनन मे भर लीजे ||
श्री राधावर सुबर कन्हीया |
ब्रजजन को नवनीत खविया |
देखत ही मन लेत चुरुया |
अपनो सर्वस इन को दीजे ||
तोतरी बोलन मधुर सुहावे |
सखन संग खेलत सुख़ पावे |
सोई सुखति जो इनको ध्यावे |
अब इन को अपनो कर लीजे ||