हे कान्हा तोसे कैसे नैन मिलाऊँ,
माया के बंधन में जकड़ा ,
कैसे भाव जगाऊं ,
हे कान्हा तोसे कैसे नैन मिलाऊँ,
मन चंचल रस विषय को धावे ,
इससे निकल न पाऊँ ,
हे कान्हा तोसे कैसे नैन मिलाऊँ,
मोरे मन मंदिर में बस जा कान्हा ,
तेरा हर पल दर्शन पाऊँ ,
हे कान्हा तोसे कैसे नैन मिलाऊँ,
ऐसी कृपा मोपे कर दो कान्हा,
भव से मैं तर जाऊँ ,
हे कान्हा तोसे कैसे नैन मिलाऊँ,
तेरा सुमिरन करते करते,
हो लीन तुम्ही में जाऊँ,
हे कान्हा तोसे कैसे नैन मिलाऊँ ।
हे कान्हा तोसे कैसे नैन मिलाऊँ ।।
भजन रचना: ज्योति नारायण पाठक
वाराणसी