मेरे मन मोहन गिरधारी

मेरे मन मोहन गिरधारी खीचड़ खा ले कइया हाथ की,
तने करमा जिमावे छोरी जाट की

खीचड़ न भावे तो घर से कच्चा दूध मंगा दू,
बाजरियो को मोटो रोटो पाको पाको लया दू,
भर के प्यालो के औ छाज थोड़ी रावडी मिला,
ताजा घाट की
तने करमा जिमावे छोरी जाट की

विनती कर के हार लई और किस ढाला समजाउ,
कैलाश कंद तू जिमा श्याम ने जब अन पानी खाऊ,
ना जाऊ तुमसे दूर हो वे बेशक मरना हॉवे मंजूर,
ना मानु लाख की
तने करमा जिमावे छोरी जाट की

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