बहुत देर से कान्हा आँखें लगी थीं ।
प्रभु आते-आते बहुत देर कर दी ।।
कन्हैया मेरे तूने बीमार-ए-गम की ।
दवा लाते-लाते बहुत देर कर दी ।।
कोई जग में मेरा नहीं है कन्हैया ।
समन्दर में डूब रही मेरी नैया ॥
प्रभू सुनते-सुनते खबर लेते-लेते ।
पता पाते-पाते बहुत देर कर दी ।। प्रभु...
तेरे मीठे दो बोल सुनने न पाये ।
चढ़ाने को दो फूल चुनने न पाये ।।
तुझसे हृदय से किया प्रेम कान्हा ।
मगर आते-आते बहुत देर कर दी ।। प्रभु...
हमारे तुम्ही कान्त हम आपकी हैं ।
तुम भक्तवत्सल हम पातकी हैं ।।
हमें पाप का ही सजा ये मिला है ।
बताते-बताते बहुत देर कर दी ।। प्रभु...