कान्हा जी मोरे नैनन में बस जाओ:
कान्हा जी मोरे नैनन में बस जाओ,
जगत मोहें कान्हामय लागे,
ऐसी ज्योति जगाओ,
कान्हा जी मोरे नैनन में बस जाओ ॥
मोर मुकुट धरि अधर मुरलिया,
मधुर मधुर मुसकाओ,
कान्हा जी मोरे नैनन में बस जाओ ॥
पीताम्बर धरि गल बनमाला,
अंखियन बाण चलाओ,
कान्हा जी मोरे नैनन में बस जाओ ॥
लागी प्रीत कबहुँ नहीं छूटे,
भव से पार लगाओ,
कान्हा जी मोरे नैनन में बस जाओ ॥
आभार: ज्योति नारायण पाठक