वढ़ अंदर झाती मार राम जी अंदर बैठे ने

वढ़ अंदर झाती मार,राम जी अंदर बैठे ने
मेरे राघवेंद्र सरकार,राम जी अंदर बैठे ने

रोम रोम विच वास राम दा
प्राण वायु हर श्वास राम दा
क्यों बैठां एं सच्च बिसार,राम जी अंदर बैठे ने
वढ़ अंदर झाती मार…..।


लब्भदे लब्भदे उमर गुजारी
मिले किते न अवध बिहारी
मेरी मन्न के वेख इक वार,राम जी अंदर बैठे ने
वढ़ अंदर झाती मार……।


नेक कमाई बहुत हो गई
लोक दिखाई बहुत हो गई
अज्ज खोल वेख मन द्वार,राम जी अंदर बैठे ने
वढ़ अंदर झाती मार……।


टाल न हँस के मेरी गल्ल नूँ
जे करना ऐं जन्म सफल तूँ
कर “शान्त”मेरा इतबार,राम जी अंदर बैठे ने
वढ़ अंदर झाती मार…….।
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