जिन्दगानी भजन बिना लुट गई रे

लूट गई लूट गई लूट गई रे  
जिन्दगानी भजन बिना लुट गई रे

भाग बड़ा रे तूने नर तन पाया
झूटी माया में तू भरमाया ,
अरे हरि से लगन थारी टूट गई रे,
जिन्दगानी भजन बिना लूट गई रे॥

साथ नही जाय थारी महल अटारी,
थारी म्हारी म उमर बीत गई सारि,
अंत म मोह माया छूट रही रे ,
जिन्दगानी भजन बिना लूट रही रे ,

सांस सांस पे राम सुमिर ले ,
यही बिधि से भब सागर से तर ले,
जीबन की डोर थारी टूट रही  रे
जिन्दगानी भजन बिना लूट गई रे ,
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