जगदम्ब मेरी जगदम्ब मेरी

¤ भजन के शब्द ¤
जगदम्ब मेरी जगदम्ब मेरी ।
तू जो दया करदे, जग ही खुशी है ।
जो तू नहीं तो, दुनिया दुःखी है।।
जगदम्ब....

कलियुग में अब पाप बढ़ा, आ जाओ मइया ।
दुर्गा-काली का रूप धरो, कष्ट हरो मइया ।।
जब भी कष्ट पड़े हैं भक्तों पर, तू ही माँ सुनती है ।
जगदम्ब..

पापी हैं चहुँ ओर बसे, चिन्ता होती है ।
भक्त तुम्हारे दुःखी हैं माँ ! हिंसा होती है ।।
अब तो खून की होली होती है,तू क्यों नहीं सुनती है ।
जगदम्ब....

तेरी कृपा से माँ ! दुनिया ये चलती है ।
तेरी कृपा से ही, कलियाँ सब खिलती हैं ।।
जब जैसा चाहे हो जाए, माँ तू ही तो करती है ।
जगदम्ब....

कान्त गीत गाता है माँ ! प्रेम मिला है ।
जो भी वो करता है माँ ! तेरी लीला है ।।
लाखों दुःख होंगे इस जग में, पर माँ पल में हरती है ।
जगदम्ब....
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