सूना सूना लागे बृज का धाम

सूना सूना लागे बृज का धाम,
गोकुल को छोड़ चले रे घन्श्याम |

यमुना रोए, मधुबन रोए, यमुना रोए, रोए कदम की शय्या,
भर भर नैना रोए रे गवाले, रोये बृज की गईआं |
राह रोक कर रोए मनसुखा, बिशड रहे मोरे श्याम रे ||

बोल सके ना घर के पंशी, असुअन से भरे नैना,
आजा काहना, ना ज काहना, कूके रे पिंजरे की मैना |
नदिया रोये, गिरिवर रोये, ले कहना का नाम रे ||

प्रेम दीवानी राधा रानी, भर नैना में पानी,
सुबक सुबक कहे हाय रे कहना, तुने बिरहा की पीर ना जानी |
कैसे कटेगी, तुम बिन साथी जीव की अब श्याम रे ||
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