जिस नाव पे बैठा मैं जर्जर पुराणी है,
कही डूब न जाऊ प्रभु तुम्हे नाव बचानी है,
जिस नाव पे बैठा मैं जर्जर पुराणी है,
संसार तो सागर है सागर बड़ा गहरा है,
मोह माया के मोती है रंग जिनका सुनेहरा है,
लालच में फसा मन कहे तुम्हे डुबकी लगानी है,
कही डूब न जाऊ प्रभु तुहे नाव बचानी है,
जिस नाव पे बैठा मैं जर्जर पुराणी है,
पतवार है स्वारथ की मेरे हाथो नहीं संबले.,
तूफ़ान है तानो के मेरी नेकी के बदले,
है दुःख के भवर में फसी तुम्हे पार लगानी है,
कही डूब न जाऊ प्रभु तुम्हे नाव बचानी है,
जिस नाव पे बैठा मैं जर्जर पुराणी है,
जिसका तू माझी है वो डूब नहीं सकता,
भाव पार लगे नैया मिल जाता है रस्ता,
चोखानी की अर्जी पे करुणा बरसानी है
गौतम की अर्जी पे करुणा बरसानी है
कही डूब न जाऊ प्रभु तुम्हे नाव बचानी है,
जिस नाव पे बैठा मैं जर्जर पुराणी है,