तर्ज : तुमको मेरा नमस्कार है सांवरा
आलू सिंह जी महाराज को नमन बार बार
उनकी सेवा और भग्ति को नमन बार बार
1.. श्याम बहादुरजी को वो, मानते थे गुरु
उन गुरुवों को दिल से.. नमन बार बार
2.. चुनकर लाते थे वो, श्याम बगीची से फुल
उस बगीची और फुलों को.. नमन बार बार
3.. घर घर जाते थे वो, ज्योत जगाते थे वो
उनके भावभरे भजनों को.. नमन बार बार
4.. भग्तों को तीन थापी, लगाते थे वो
उस मोरछड़ी के झाड़े को.. नमन बार बार
5.. भग्तों के काम करवाते, थे भाव से
उनकी किरपा और अखाड़ों को.. नमन बार बार
6.. उनके हाथों से ही, सजता था सांवरा
उस चंदन के लेप को.. नमन बार बार
7.. दो अक्टूबर के दिन, वो हो गए श्यामलीन
उनकी पुण्यतिथि को.. नमन बार बार
8.. कहते थे वो हर बार, ये है साँचा दरबार
भग्तों के संग अम्बरीष का.. नमन बार बार