कोई ए माँ तेरे दरवार से खाली न गया,

कोई ए माँ तेरे दरवार से खाली न गया,
न गया माँ तेरे दरवार से खाली न गया

जिसने जो कुछ भी है मांगा तो मुरादे पाई,
जिसने माँ कह के पुकारा तू सामने आई।
हो के मायूस तेरे दर से सवाली न गया।

न गया माँ तेरे दरवार से खाली न गया.......

ये वो दरबार है जिस दर से दया मिलती है।
ये वो दरबार है जिस दर से सिफा मिलती है।
कैसे कह दूं कि मैं दरबार से पाई ना दया

न गया माँ तेरे दरवार से खाली न गया ........

मैं भी आया हूं तेरे दर पे सवाली होकर,
एक उजड़े हुए गुलशन कावो माली होकर,
एक भी फूल तेरे दर पे चढ़ाया न गया,

न गया माँ तेरे दरवार से खाली न गया ........

अब न छोडूंगा कभी देखले तेरा आंचल,
ले ले गोदी में अपने लाल को फैला आंचल,
तेरे आंचल से फिसल कर कोई खाली न गया।

न गया माँ तेरे दरवार से खाली न गया ........

कोई ए माँ तेरे दरवार से खाली न गया,
न गया माँ तेरे दरवार से खाली न गया।
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