होली खेलैं हनुमाना अवध में ,
होली खेलैं हनुमाना....
जाके ह्रदय सियाराम बिराजैं,
भक्ती का रस बरसाना अवध में ,
होली खेलैं हनुमाना.....
होली खेलैं हिलमिल चारो भाई,
करि दरस , कपि हरषाना अवध में,
होली खेलैं हनुमाना.....
सब रंग गुलाल अबीर मलत हैं,
खुद सिंदूर खूब लगाना अवध में,
होली खेलैं हनुमाना...
प्रभु दरसन को देवन तरसैं,
चाहें, चरण कमल रज पाना अवध में,
होली खेलैं हनुमाना ....
होली खेलैं हनुमाना अवध में,
होली खेलैं हनुमाना.....
रचना : ज्योति नारायण पाठक
वाराणसी