याहा बनती है तकदीरे है वो दरबार मेहंदीपुर
कटे याहा दुःख की जंजीरे है वो दरबार मेहँदीपुर
ना लौटा कोई भी खाली
सवाली बन के जो आया,
मिले दुनिया की जागीरे है वो दरबार मेहँदीपुर
कोई किस्मत का मारा हो हार कर इस के घर आये,
बदले किस्मत की लकीरे है वो दरबार मेहंदीपुर
सतय का बोल भाला है याहा झूठे का मुह काला
मिले इंसाफ जिस तीरे है वो दरबार मेहंदीपुर
लगन तू भी लगा पंकज तेरी बिगड़ी सवर जाए,
मिले प्रभु नाम के हीरे है वो दरबार मेहँदीपुर