आरती श्रीशनिदेव जी की

आरती श्रीशनिदेव जी की

जय शनिदेव हरे, प्रभु जय जय शनिदेव हरे।
रविनंदन दुःख भंजन, कष्ट कलेश हरे ।।

शूल धनुष वर मुद्रा, चार भुजा धारी,
गीध वाहन शनि भगवन, लोहरथ की सवारी-जय शनिदेव.

मुकुट जटा आभूषण, कृष्ण वर्ण राजै,
महाकाल की मूर्त, लोह आसन साजै जय शनिदेव,

चढे उड़द तिल लोहा, तेल का दीप जगै,
दुःख दारिद्र ग्रह पीड़ा, भूत पिशाच भगै- जय शनिदेव,

वेद पुराण बखानत, शनि महिमा भारी,
सुर असुर मुनि देवता, सेवत नरनारी जय शनिदेव.

शरधा प्रेम पै रीझै, खीझै कपट छल पै,
भय खावें बलधारी, शनि के भुजबल से जय शनिदेव.

दुष्टों को दण्ड देवे, कोध करे भारी,
करे रक्षा जन जन की, भगतन हितकारी-जय शनिदेव,

आरती वंदन पूजा, सब संसार करे,
दया शनि भगवन की घर भण्डार भरे जय शनिदेव

कर 'मधुप' शनि सेवा, नित गुणगान करो,
मन वांछित फल पावो, जन कल्याण करो-जय शनिदेव,

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