आजा खाटू वाले तेरा दास बुलाता है

आजा खाटू वाले तेरा दास बुलाता है

(तर्ज- उड़जा काले कावाँ)

आजा खाटू वाले तेरा दास बुलाता है
लेजा अपनी नगरी तुझसे आस लगाता है
फागुन में फिर मेले लग गए भर गयी खाटू नगरी
एक छोटा सा दास तेरा बाबा भटके डगरि डगरि
ओ लेजा मुझे खाटू वाले
भगत तेरा है पुकारे
ओ लेजा मुझे खाटू वाले
भगत तेरा है पुकारे

छम छम करता आया मौसम फागुन का प्यारा
मेला तेरा भरता बाबा सबसे है न्यारा
याद तेरी ओ बाबा तेरे दास को है फिर आई
इसी लिये तेरे चरणों में अर्जी अपनी लगाई
ओ लेजा मुझे खाटू वाले
भगत तेरा है पुकारे

खाली हाथ सुना तेरे दर से  कोई नही जाता
हारे का सहारा ओ बाबा तु है बन जाता
मैं भी हार चुका हूँ बाबा बाह पकड़ ले मेरी
टूटने से पहले बाबा सुनले विनती मेरी
ओ लेजा मुझे खाटू वाले
भगत तेरा है पुकारे

लेखक एवं गायक: मनोज कुमार कामरा

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