आँसू भरी ब्रज की सखियों की राहें

विरह गीत : आँसू भरी ब्रज की सखियों की राहें ।

आँसू भरी व्रज की सखियों की राहें ।
कोई कह दे कान्हा हमें भूल जायें ॥

हमको भूलाकर गया छोड़कर वो ।
नाता परम प्रेम का तोड़कर वो ॥
ऐसे कन्हैया से क्यों दिल लगायें ।कोई...

हम गोपियों की अजब दास्तां है ।
जहाँ गम के बादल हैं वो आसमां है ।
विरह आँसुओं से भरी व्रज की राहें ॥कोई...

इन आँसुओं में है दुःख का समन्दर ।
न जाने मिलेगा तू कब श्यामसुन्दर ॥
तुम्हें प्यारी नगरी हमें कान्त आहें ।कोई...

भजन रचना : प. पू. संत श्री श्रीकान्त दास जी महाराज ।
स्वर : सुभाष सिंह राजपूत जी ।

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