जय जय पिय प्यारी, सुकुमारी, भोरी भारी नथवारी। बलिहारी, छवि प्यारी, ऊँचे महल अटा वारी ॥ पुस्तक : ब्रज रस माधुरी पद संख्या : 47 पृष्ठ संख्या : 109 सर्वाधिकार सुरक्षित © जगद्गुरु कृपालु परिषत्