प्रथम देव गुरुदेव जगत में और ना दूजो देवा

प्रथम देव गुरुदेव जगत में, और ना दूजो देवा ।
गुरु पूजे सब देवन पूजे, गुरु सेवा सब सेवा ॥

गुरु इष्ट, गुरु मन्त्र देवता, गुरु सकल उपचारा ।
गुरु मन्त्र, गुरु तंत्र गुरु है, गुरु सकल संसारा ॥

गुरु आवाहन, ध्यान गुरु है, गुरु पञ्च विधि पूजा ।
पुरु पद नमन, काव्य गुरु पावक, सकल वेद गुरु दूजा ॥

गुरु होता गुरु, याग महा यश, गुरु भगवत ईशा ।
गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु सदा शिव, इन्द्र वरुण दिग दीषा ॥

बिन गुरु जप तप दान व्यर्थ व्रत, तीर्थ फल नहीं दाता ।
लक्ष्मी पति नहीं सिद्ध गुरु बिनु, वृथा जीव जग जाता ॥
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