रहमतो का ख़जाना लुटाती है जो,
झंदेवाली है वो शेरा वाली है वो,
सबको सीने से अपने लगती है जो ,
झंडे वाली वो शेरा वाली है वो......
हर कहानी को एक मोड़ मिलता नया,
दिल में आशा का गुलशन खिलता नया,
रास्तो से कटीले बचाती है जो,
झंडे वाली वो शेरा वाली है वो......
दर पे आये का सत्कार करती सदा,
पास अपने भुला प्यार करती सदा,
दिल के जख्मो पे मरहम लगती है जो,
झंडे वाली वो शेरा वाली है वो......
छोड़ जाता है तनहा के जब हर कोई,
अपना साया भी हो जाये जब अजनबी,
हाथ एसे में अपना बढाती है जो,
झंडे वाली वो शेरा वाली है वो......
कौन साहिल है एसा बता तो सही,
कोई मैया के जैसे दिखा तो सही,
भोज ओरो का खुद पे उठा ती है जो
झंडे वाली वो शेरा वाली है वो......