मैया जैसा जग के अंदर होर न लोको कोई,
सब नू लोको खैरां वंडदी खाली न जांदा कोई,
तू ही सब दे माँ कष्ट मिटावे तेरे वाजों न दाती कोई,
तेरे ही माँ दर ते आके किस्मत जागे सोई
कमली मैया दी कमली, नी मैं कमली।
दर्श तेरे दी सानू रहन उडीकां हर वेले माँ अम्बे,
दर्शन दे के, माँ प्यास बुझादे,
तेरी बचड़ी ऐ ही मंगे, नी मैं कमली,,,,,,,,,,,
सपने विच मेरी दाती आई फुल्ल सजाये राहवाँ,
डर दी मारी, मैं अक्ख न खोलां,
किते फ़ेर बिछड़ न जावाँ, नी मैं कमली,,,,,,,,,,
मैनु चरणीं अपने लगा लै, नी मायें कुझ होर न मंगां,
तेरे चरणां दे विच ही मायें जीना, नी मायें कुझ हो न मंगां,
किसी के कान में हीरा, किसी के नाक में हीरा,
हमें क्या गर्ज़ हीरों से हमारी दाती है हीरा,
पंडित देव शर्मा
श्री दुर्गा संकीर्तन मंडल
रानियां, सिरसा