चले आबे ओ दाई अंगना म मोर,
सोला सिंगर करके लाली चुनरियाँ ओह्ड़े,
आवत अंगना बटोरे हो मईया मोर , गंगा जल छिड़कावत वो,
चन्दन पीठुलिया म बइठे ल देव, जमुना पाव पखारव वो,
चले अबे मईया......
कंचन धारी म नरियर धरके,सूंदर आरती उतरांव वो,
पारा परोशीन सखिया बलाक़े, मंगल गीत गावव वो,
चले आबे ओ मईया.....
पंचरित के भोग लगावव,गइया के दूध पियावव वो,
पलंग बिछवना बइठे ल देवव,बीड़ा पान खवाव वो,
चले आबे ओ मईया.....
पाव पैजनियां खनके वो मैया मोर,चुटकी बिछिया बाजय वो,
सातो सखिया मिल तोर जस गावय, शेखर सुर लमावय वो,
चले आबे ओ मईया...
गायक : मदन चौहान( गुरु जी)
रायपुर छत्तीसगढ़