ओ दुर्गे माँ मेरी बिनती सुन मेरी

ओ दुर्गे माँ मेरी बिनती सुन मेरी लगी रे तुझी से आस,
के अब तू आके दर्शन दे,
दुर्गे माँ मेरी बिनती सुन..........

तू है अम्बे माई तू जगजनी कहलाई,
अभय दिया दयाणु को न पल की देर लगाई,
मुझको ना माँ विश्राना माँ मैं हु तेरा दास लगी रे तुझी से आस
दुर्गे माँ मेरी बिनती सुन ........

तेरे दर का जैसा माँ दर ना कोई दूजा,
सुबह शाम ओ मैया होती तेरी पूजा,
मुझको शरण लगना माँ मैं हु तेरा दास,लगी रे तुझी से आस
दुर्गे माँ मेरी बिनती सुन ........

शुम्ब निशुम्ब को मारा अकबर का मान गिराया,
शंड मुंड संगारा भेरव का मान बढाया,
तब तो गल्ले लगाना सोनू तेरा माँ ख़ास,लगी रे तुझी से आस
दुर्गे माँ मेरी बिनती सुन ........
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