गोविन्द गोविन्द कृष्ण कृष्ण बोल ले,
हरि नाम कि चाभी लेके हिरदै के पट खोल ले,
गोविन्द गोविन्द कृष्ण.....
खेर हुआ जो अब तक तुझसे,उसका पस्चाताप न कर,
सदगुरु के सरनागत होकर,हो जा निश्चल ओर नीडर,
अपनी जिंदगानी में,तू नाम अमृत घोल ले,
गोविन्द गोविन्द कृष्ण...............
इसके बाद तूझे अपना,विश्यो से राग हटाना है,
जाग तपस्या नियय से,गुरु के आनुकुल बन जाना है,
फिर तेरे प्रति सारा जमाना,चाहे कुछ भी बोल ले,
गोविन्द गोविन्द कृष्ण..........
द्ययान धारणा नित्य स्वाति ,सारा जीवन करनी है,
क्योंकि तुझको भव सागर से, पार तरन तो करनी है,
सस्ता है मार्ग सबसे,चाहे तराजू तोल ले,
गोविन्द गोविन्द कृष्ण..............