मेरा सतगुरु पीरा दा पीर मेरा मन रंगिया गया,
रंगिया गया मन रंगिया गया,
नाले बादशाह ते नाले फ़क़ीर,
मेरा मन रंगिया गया...
सुध भूध भूल गई मैं सब तन दी
चिंता छुटी जनम मरन दी,
मेरी छुट गयी मन की पीड़,
मेरा मन.......
मेरा सतगुरु.......
पाठ नाम वाला एसा पड़िया,
जिसदा नशा सदा ली चडया,
मैं हो गई बड़ी अमीर,
मेरा मन.....
मेरा सतगुरु.......
सतगुरु दिती ऐसा मस्ती,
भूल गई मैं सब अपनी हस्ती,
हॉवे चरना दे विच अखीर,
मेरा मन......
मेरा सतगुरु.......