हनुमान जी आप बजरंग बली महावीर

हनुमान जी आप बजरंग बली महावीर ||टेर||

भक्तजनों का काज सारिया,
जब जब पडी भक्तों पर भीर ||1||

चारों जुगां मेँ विचरण करता,
आपरो अजर अमर शरीर ||2||

संजीवनी कारण धौलागिरी धर लायो,
जब लाग्यो लक्षमण रे तीर ||3||

कर कमल में गदा धारी,
जडीया मोती नवलख हीर ||4||

मंगल शनि तो दिन आपरे,
तेल सिँदूर शोभे शरीर ||5||

माता सिया का पता लगाया,
श्रीराम को बंधाई धीर ||6||

पवनपुत श्रीराम के दुत,
आप उडता संग समीर ||7||

रमेश राँगी आपरो जस गावे,
दिज्यो सुख़ संपत अरु सीर ||8||
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