साई तेरे कर्म की बरसात हो रही,
बाबा तेरे कर्म की बरसात हो रही,
रेहमत सवालिया पे दिन रात हो रही है,
तेरे रेहम के छींटे हर और लग रहे है,
सदियों से सोये ये जो वो नसीब जग रहे है,
कुटियाँ गरीब की भी आबाद हो रही है,
साई तेरे कर्म की बरसात हो रही,
जब से सुने है हमने तेरे वचन ओ बाबा,
शिरडी सा हो गया है पावन ओ मन बाबा,
पापो से आत्मा ये आजाद हो रही है,
साई तेरे कर्म की बरसात हो रही,
भक्तो से मिलने मोहन तुम बनने के आये साईं,
तुम में झलक है शिव की शवि राम की समाई,
घर घर में आज कल ये बस बात हो रही है,
साई तेरे कर्म की बरसात हो रही,