मैया जी मेरे अंग संग आप रहो।
तुझ बिन और ना कोई, कितो ना मिलदी दाती ढोई, आप सहाई हो॥
ऐसी लगन लगादे दाती, तेरे रंग रंग जावा,
चढ़ जाए तेरे नाम दी लाली, तेरा लाल कहावा।
तू जे चावे ते महारानी, जगदम्बे माँ आद भवानी, की नहीं सकदा हो,
मैया जी मेरे अंग संग आप रहो॥
दर दर भटका मैं दुखिआरा, ना दम ना ही दिलासा,
तू दया दा सागर फिर भी मैं प्यासे दा प्यासा।
वस् नहीं चलदा, बेबस हो के, दुनिया कोलो दर्द लको, दाती लैंदा रो,
मैया जी मेरे अंग संग आप रहो॥
की पता तू कंजक बन के आई होवे कई वारी,
समझ लैंदा ते चुम्दा तेरे पैर मैं सो सो वारी।
चैन आवे जे मेरे मन दी, मेहरा वालिये माँ इस तन दी, मैल देवे तू धो,
मैया जी मेरे अंग संग आप रहो॥
भूल होई जे मैथो दाती, भूल मेरी बख्शा दे,
सच्चिया ज्योति वाली मैनू सच्ची राह दिखला दे।
कालिए मेरे मन दा मंदिर, महरा वालिया माँ इस अन्दर, होवे तेरी लौ,
मैया जी मेरे अंग संग आप रहो॥