दूर है न ये किनारा मेरे श्याम,
दूर है न ये किनारा ना समज आये मेरी,
नाव डूबे गी मेरी भावना है क्यों मेरी,
मेरे श्याम मेरे श्याम मेरे श्याम,
मन वचन और कर्म से भाव उज्जवल हो मेरे,
धर्म का निर्माण हो पाप का विनाश हो,
क्यों चलु न उसकी पथ पे जिसका कोई पथ नहीं,
नाव डूबे गी मेरी भावना है क्यों मेरी....
मैं भटक ता जा रहा हु मेरे श्याम,
इस भवर के जाल में मुझको लेकर जाएगा जब सवाली अपने साथ में,
क्यों न समजा मैं उसे जो रहता है संग में मेरी,
नाव डूबे गी मेरी भावना है क्यों मेरी,
मेरे संग जो भी चले थे अब वो मेरे संग नहीं,
ज़िंदगी के रंग है भवरे अब वो पहले रंग नहीं,
क्यों न रंग लू उसके रंग में,
जिसका कोई रंग नहीं,
नाव डूबे गी मेरी भावना है क्यों मेरी,