होली खेलन को आयो रे श्याम,
कहा छुपी निकल तू राधा,
बिना रंगे ना जाउगा मैं श्याम का है ये वादा,
कहा छुपी निकल तू राधा,
कब तक बच के रहे गई मुझे बरसाने की गोरी,
ढूंढ रही है कब से तुझको नटखट नजरे मोरी,
गोरी से कारी कर दूंगा मैं करे देर जो ज्यादा,
कहा छुपी तू निकल राधा,
हाथ लगी जो सखियाँ तेरी रंगो से है रंग डाला,
चन्दन अभीर गुलाल लगाया लगा दियां रंग काला,
वृषवाणु की बता लाड़ली क्या है तेरा इरादा,
कहा छुपी तू निकल राधा,
बैठी हो तुम छुप के जहा पे मुको पता है तेरा,
खुद से आजा सामने वरना रंग दू वही तेरा चेहरा.
कमल नैन वाली बिन तेरे होली का मजा है आधा,
कहा छुपी तू निकल राधा,