तुम्हे श्याम अपना बना के रहे गे,
तू रूठा है फिर भी मना के रहे गे,
ओ मुरली मनोहर फ़िदा दिल मेरा है,
मेरे जिस्म का हर एक पुर्जा तेरा है,
हिरदये भीं को गम बजाके रहेगे,
तुम्हे श्याम अपना बना के रहे गे,
गलत क्या किया जो बुरा मान बैठे,
पराया मुझे श्याम क्यों जान बैठे,
ये गम का फ़साना सुना के रहे गे,
तुम्हे श्याम अपना बना के रहे गे,
अभी है दिल तुमने सुना ही कहा है मुझे अपनी खिदमत में चुना ही कहा है,
चरण रज तुम्हारी लगा के रहे गे,
तुम्हे श्याम अपना बना के रहे गे,
बहुत हो गया है अभिमान जावो मुझे श्याम सूंदर न पागल बनावो,
काशी राम ये दिल लुटा के रहेगे,
तुम्हे श्याम अपना बना के रहे गे,